फिल्म ओप्पेन्हेइमेर के दृश्य से क्यों हैं भारतीय धार्मिक समुदाय को नाराजगी?
भूपेंद्र कौर, 26- जुलाई-2023
हाल ही में रिलीज हुई इंटरनेशनल फ़िल्म 'ओप्पेन्हेइमेर' कॉफ़ी चर्चा में हैं। जहां एक तरफ ओप्पेन्हेइमेर फ़िल्म ने विश्व भर में 174 मिलियन डॉलर की कमाई की वहीं दूसरी तरफ 21 जुलाई को 'केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड' के द्वारा सेंसर की गई 'ओप्पेन्हेइमेर' को भारत के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व हिंदू समुदाय के लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ा।
दुनिया के जाने माने डायरेक्टर, क्रिस्टोफर नोलन कि यह फिल्म 100 मिलियन डॉलर के बजट पर बनाई गई है, जिसमें सिलियन मुरफी लीड रोल निभाते हुए नजर आ रहे हैं यह फिल्म प्रसिद्ध फिजिसिस्ट, जे रॉबर्टओप्पेन्हेइमेर के जीवन पर आधारित है। ओप्पेन्हेइमेर, मैनहट्टन प्रोजैक्ट के लीडर थे, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु बम विकसित किया था, इसी वजह से उन्हें 'फादर ऑफ़ एटम बम' भी कहा जाता है। ओप्पेन्हेइमेर, ना सिर्फ फिजिक्स, केमिस्ट्री व अन्य विज्ञान के क्षेत्रों के ज्ञाता थे बल्कि उन्हें संस्कृत भाषा में भी बहुत रूचि थी, जिसके कारण उन्होंने स्वयं की संस्कृत सीखी थी व वह भागवत गीता से बड़े प्रभावित थे।
'ओप्पेन्हेइमेर' फ़िल्म के एक दृश्य में ओप्पेन्हेइमेर के किरदार को भगवद गीता पढ़ते समय शारीरिक संबंध बनाते हुए दिखाया गया हैं, जिसके कारण कई धार्मिक अधिकारी अभी भी इस बात से नाराज थे कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने फिल्म के इस हिस्से को भारतीय सिनेमाघरों में प्रदर्शित करने की अनुमति क्यूँ दी। उस दृश्य में दिखाई देने वाली नग्नता को 'सी जी आई ड्रेस' का उपयोग करके सेंसर किया गया था और धर्मग्रंथ की हार्ड कॉपी के कवर को भारतीय संस्करण में धुंधला कर दिया गया था, परंतु फिर भी कहीं हिंदू समुदाय के लोग इस बात से नाखुश है कि भागवत गीता की अवहेलना की गई।
बताया जाता है कि अपने ही आविष्कार, एटम बम की जांच के दौरान हुए ब्लास्ट से हैरान रह गए ओप्पेन्हेइमेर ने भगवत गीता एक पंक्ति अंग्रेजी में कहीं, "नाउ आई ऍम बिकम डेथ, दी डिस्ट्रॉयर ऑफ़ वर्ल्डस" जिसे उन्होंने (फिल्म के अनुसार) तब भी कहा जब वह अपनी प्रेमिका के साथ शारीरिक संबंध बनाते हुए दिखे। केंद्रीय मंत्री, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा जवाबदेही की मांग की है और यह भी कहा कि जो कोई भी इस फिल्म को मंजूरी देने के लिए जिम्मेदार है उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि ना सिर्फ हिंदुस्तान के सोशल मीडिया व मंत्रालयों द्वारा 'ओप्पेन्हेइमेर' फिल्म से असन्तुष्टि देखने को मिली है बल्कि स्वयं सैम ऑल्टमैन,ओपन आई सीईओ व एलोन मस्क के भी यही विचार हैं। ऑल्टमैन को फ़िल्म से यह आशा थी कि आने वाली पीढ़ी भी फिजिसिस्ट बनने के लिए प्रेरित होगी, परंतु शायद फिल्म वह करने में असफल रही। बात अगर फिल्म में ओप्पेन्हेइमेर की निजी जिंदगी, उनके विचार व मैनहट्टन प्रोजैक्ट के विवरण की की जाए तो यह फिल्म वाकई काबिले तारीफ है।
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि, नागासाकी-हिरोशिमा कि दुर्घटना के बाद ओप्पेन्हेइमेर अपने ही अविष्कार से नाराज थे व उन्होंने एडवर्ड टेलर के अविष्कार 'हाइड्रोजन बम' को विकसित करने के विपक्ष में भी अपना मत रखा था। आज दुनिया के 9 बड़े देशो के पास एटम बम व अन्य न्यूक्लियर वेपन है, जिसमें चीन,उत्तर कोरिया, इजराइल, फ्रांस,पाकिस्तान, रूस, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका व हिंदुस्तान भी शामिल है। सौभाग्य की बात यह है कि पिछले 80 सालों से आज तक कोई भी हिरोशिमा-नागासाकी जैसी दूसरी दुर्घटना नहीं हुई है।
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